शाम को शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए या नहीं- जानिए रहस्य

हेलो दोस्तों आज की इस पोस्ट में मैं आपको शाम को शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए या नहीं इसके बारे में पूरी जानकारी देने वाला हो तो दोस्तों आजकल समय रहते काफी सारे लोग नई नई बाते करने लगी है जैसे की फिलहाल में ही शिवलिंग पर शाम में जल चढ़ाना चाहिए नहीं यह प्रश्न लोगों के मन में काफी आ रहा है लेकिन अगर अब उसके बारे में कोई जानकारी नहीं है तो आज के इस पोस्ट में भी इसी के बारे में पूरी जानकारी देने वाला हूं

भगवान देव आदि देव महादेव की पूजा अत्यंत फलदायक होती है जो भी भक्त सच्चे मन से इनकी पूजा करते हैं उनको मनचाहा फल जरूर मिलता है भगवान भोलेनाथ की पूजा को कोई भी विधि-विधान नहीं है आप जब भी चाहे इनकी पूजा कर सकते हैं आप इन्हें एक लोटा जल चढ़ा सकते हैं बेलपत्र चढ़ा सकते हैं अगर आपके पास बेलपत्र नहीं है तो आप शंकर जी पर जो बेलपत्र पर चढ़ी है उसे ही धोकर दोबारा रह सकते हैं.

शाम को शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए या नहीं

लेकिन कुछ लोग आजकल ऐसा भ्रम फैला रही है कि शाम के वक्त शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए तो आज मैं आपके इसी के बारे में बताने वाला हूं.

शाम को शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए या नहीं

तो दोस्तों भगवान देवों के देव महादेव की पूजा आप जब चाहे तब कर सकते हैं आप उन्हें एक लोटा जल सवेरे चढ़ाये या फिर शाम को चढ़ाये या फिर चाहे कभी भी चढ़ा सकते हैं इनकी पूजा करने में कोई भी इतना नियम नहीं है आप अगर सच्चे मन से भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाते हैं तो आपका मनचाहा फल ही यहां आपको जरूर देते हैं आप इन्हें जब चाहे तब जल चढ़ा सकते हैं

शिवलिंग पर जल चढाने का महत्व

शिवलिंग पर जले चढ़ाने को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है यदि आप भगवान शिव को एक लोटा जलते भी हैं तो आपको हजारों जप का फल एक साथ मिल जाता है इसके साथ-साथ भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र अधिक प्रिय है आपका एक बेलपत्र भगवान शिव को चढ़ाना हजारों जप के बराबर है इसलिए आप भगवान शिव को एक लोटा जल के साथ-साथ एक बल पर भी चढ़ाएं

शिवलिंग पर जल चढाने से इहलौकिक एवं पारलौकिक समस्त प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शिवलिंग पर जल चढाने की एक रहस्यमयी कथा पुराणों में मिलती हैं। जिसका उल्लेख संक्षेप में आगे किया जा रहा है।

शिवलिंग पर जल चढाने की कथा- रहस्यमयी


एक समय की बात है। प्रजापिता ब्रह्मदेव एवं जगत्पालक भगवान विष्णु में एक बहस छिड गयी। दोनों में कौन ज्यादा श्रेष्ठ है- इसी बात पर ब्रह्मा विष्णु में विवाद होने लगा। दोनों ने एक दूसरे से कहा कि हम अपनी- अपनी शक्ति का प्रदर्शन करें। जिसमें ज्यादा शक्ति होगी। वही श्रेष्ठ है।

प्रजापिता ब्रह्म देव एवं भगवान विष्णु दोनों अपनी अपनी शक्तियों का प्रदर्शन करने लगे लेकिन दोनों की शक्ति का अंतिम‌ परिणाम नहीं निकल पाया। अचानक उसी क्षण वहाँ पर उनके सामने एक बहुत बड़ा विशालकाय प्रकाशपुंज लिंग रूप प्रकट हुआ।

वह प्रकाशपुंज दिव्य ज्योति एवं तेज से पूरित लिंगाकार जैंसा था। उस प्रकाशपुंज ने ब्रह्म देव एवं भगवान विष्णु से कहा कि यदि तुम दोनों यह जानना चाहते हो कि तुम दोनों में श्रेष्ठ कौन है तो आओ, इस लिंगाकार प्रकाश स्तंभ के अंतिम छोर (किनारे) का पता लगाओ। जो भी इसका पता पहले लगाएगा। वही तुम दोनों में श्रेष्ठ माना जाएगा।

प्रजापिता ब्रह्म देव एवं भगवान विष्णु दोनों ही प्रसन्नचित्त होकर उस प्रकाशपुंज के अंतिम छोर का पता लगाने गये लेकिन उनको निराश होकर वापस लौटना पड़ा। हजारों वर्षों तक भी उन्हें उसका कोई अंत नहीं मिला। जब वे वापस आये तो उस प्रकाश पुंज से ओम की ध्वनि प्रस्फुटित हो रही थी और अकस्मात उस लिंगाकार प्रकाश पुंज से देवों के देव महादेव भगवान शिव प्रकट हो गये।

इस प्रकार ब्रह्मा विष्णु समझ गये कि हमारी जिज्ञासा ही व्यर्थ थी कि हम दोनों में कौन श्रेष्ठ है। तब ब्रह्मा विष्णु दोनों ने भगवान शिव की उस लिंग रूप में पूजा शुरु की। कहा जाता है कि यही ब्रह्माण्ड का सबसे पहला शिवलिंग था। यह कथा लिंग पुराण एवं शिवपुराण में मिलती है। इस प्रकार शिवलिंग पर जल चढाने का अत्यधिक महत्व है। आइये, जानते हैं.

शिवलिंग पर जल चढ़ाने के फायदे

शिवलिंग पर जल चढ़ाने के के काफी सारे फायदे होते हैं शिवलिंग पर समस्त ब्राह्मण की देवता विराजमान रहते हैं आप एक लोटा जल चढ़ा रही है यानी कि सभी देवताओं की पूजा एक साथ कर रहे हैं क्योंकि यह देवों के देव महादेव है.

शिवलिंग पर एक लोटा जल चढ़ाने से भगवान भोलेनाथ काफी प्रसन्न रहते हैं और आपको मनचाहा वर देते हैं इसके साथ-साथ आपकी जो भी मनोकामना रहती है वो जल्दी पूर्ण होती है.

क्या हम शाम को शिव अभिषेक कर सकते हैं?

जी हां आप शाम को शिवजी को अभिषेक कर सकते हैं आपने कई सारे मंदिर में देखा ही होगा कि शिवलिंग के ऊपर एक जल से भरा कलश रहता है जो कि 24 घंटे शिवलिंग पर जल की धारा गिरती रहती है यहां से भगवान शिवलिंग का अभिषेक होते ही रहते हैं इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए आप को कभी भी अभिषेक कर सकते हैं

शिवलिंग पर जल चढ़ाने का सही समय 2023

शिवलिंग पर जल चढ़ाने का सही समय यह है कि आप इसमें कभी भी जल चढ़ा सकते हैं लेकिन अगर आप सोमवार के दिन जल चढ़ाते हैं तो यह काफी अच्छा हो होता है कोई की भगवान शिव का यह दिन माना जाता है इस पर आपको कभी भी जल चढ़ा सकते हैं

शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय क्या बोलना चाहिए?

सच्ची निष्ठा एवं सच्ची भक्ति से पवित्र होकर शिवलिंग पर जल चढाना चाहिए। शिवलिंग पर जल चढाने के लिए मन व तन दोनों का पूर्ण रूप से पवित्र होना अत्यावश्यक है।

ॐ नमः शिवाय (पंचाक्षर मंत्र)

ॐ श्री साम्बसदाशिवाय नमः

ॐ श्रीरुद्राय नमः।।

ॐ श्री शिवाय नमः। स्नानीयं जलं महाभिषेकस्नानं‌ च समर्पयामि।।

शाम को शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए या नहीं

आप शिव लिंग पे कभी भी जल, दूध, शहद, चंदन, भस्म, बेल पत्र, धतूरा, कभी भी चढ़ा सकते है। कोई भी बंदिश नहीं है।

शिवलिंग पर जल कब नहीं चढ़ाना चाहिए?

आप शिव लिंग पे कभी भी जल, दूध, शहद, चंदन, भस्म, बेल पत्र, धतूरा, कभी भी चढ़ा सकते है

शिवलिंग पर शाम को जल चढ़ाने से क्या होता है?

इससे अनन्त कोटि पुण्यफल प्राप्त होता है व समस्त प्रकार के दुःख दूर होते हैं.

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