हेलो दोस्तों आज की इस पोस्ट में आपको लक्ष्मण मस्तूरिया की पूरी बायोग्राफी के बारे में बताने वाला हूं दोस्तों यह एक छत्तीसगढ़ी गीत कार है जिसने अपनी आवाज से लोगों का दिल जीत लिया है फिलहाल आज किस पोस्ट में मां खुशी से संबंधित पूरी जानकारी देने वाला हूं।
लक्ष्मण मस्तुरिया जीवन परिचय | Lakshman masturiya Biography in Hindi
लक्ष्मण मस्तुरिया का जन्म 7 जून 1949 को बिलासपुर के मस्तूरी में हुआ था इन्हें बचपन से ही गाने का काफी शौक था यही शौक से इनके काफी पहचान प्राप्त हुई है आज के समय में छत्तीसगढ़ का हर नागरिक इन्हें जनता है।
या अपनी मीठी आवाज के रूप में जाने जाते हैं इन्होंने अरपा पैरी के धार जैसे छत्तीसगढ़ी गाना का है जो कि काफी फेमस हुई है। इन्हें छत्तीसगढ़ का जनकवि कहा जाता था। वे मूलतः गीतकार थे।
मोर संग चलव रे, मैं छत्तीसगढ़िया अंव रे , हमू बेटा भुंइया के, गंवई-गंगा, धुनही बंसुरिया, माटी कहे कुम्हार से, सिर्फ सत्य के लिए उनकी प्रमुख कृतियां थीं। लक्ष्मण मस्तूरिया रामचंद्र देशमुख बहुमत सम्मान (दुर्ग) और सृजन सम्मान से नवाजे गए थे।
मस्तुरिया को 1970 के दशक में दुर्ग के बघेरा निवासी दाऊ रामचन्द्र देशमुख द्वारा स्थापित लोकप्रिय सांस्कृृतिक संस्था ‘चंदैनी गोंदा’ के गीतकार के रूप में पहचान मिली। इस संस्था में उनका गीत ‘मोर संग चलव रे-मोर संग चलव जी’ काफी लोकप्रिय हुआ।
आकाशवाणी के रायपुर केन्द्र के विभिन्न कार्यक्रमों में उनके गीतों का प्रसारण होता रहा है। मस्तुरिया ने कई छत्तीसगढ़ी फिल्मों के लिए भी गीत लिखे, जिनमें राज्य निर्माण के समय वर्ष 2000 के आस-पास बनी फिल्म ‘मोर छईंहा-भुईंया’ सहित हाल ही बनी फिल्म ‘मया मंजरी’ भी शामिल है।
उनके अनेक गीतों के रिकॉर्ड भी बन चुके हैं। मस्तुरिया को वर्ष 1974 में नई दिल्ली के लाल किले में गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में काव्यपाठ के लिए छत्तीसगढ़ के ही लोकप्रिय शायर मुकीम भारती के साथ आमंत्रित किया गया था।
जहां 20 जनवरी 1974 को उन्होंने गोपाल दास नीरज, बाल कवि बैरागी, इन्द्रजीत सिंह तुलसी और रामअवतार त्यागी तथा रमानाथ अवस्थी जैसे दिग्गज गीतकारों के साथ प्रस्तुति दी। दोनों की रचनाओं को खूब प्रशंसा मिली। मस्तुरिया ने कुछ समय तक ‘लोकसुर’ नामक मासिक पत्रिका का भी सम्पादन और प्रकाशन किया। भोपाल स्थित संस्था दुष्यंत कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय द्वारा मार्च 2008 में आयोजित अलंकरण समारोह में उन्हें मध्यप्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल द्वारा ‘आंचलिक रचनाकार सम्मान’ से विभूषित किया गया था।
चुनाव भी लड़ा : आम आदमी पार्टी ने पार्टी कार्यालय में आयोजित श्रद्धांजलि सभा मेें उन्हें याद किया। पार्टी के संयोजक संकेत ठाकुर ने कहा कि आम छत्तीसगढ़िया की पीड़ा से व्यथित मस्तुरिया ने अपने कर्मक्षेत्र का विस्तार करते हुए 2014 में पार्टी की ओर से महासमुंद से चुनाव भी लड़ा था।
लक्ष्मण मस्तुरिया की मृत्यु
कुछ समय पहले सीने में दर्द के चलते इनकी मृत्यु 3 nov. 2018 हो गई यह काफी समय से बीमार थे।
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