Ekadashi Kab Hai – एकादशी कब है?

हेलो दोस्तों आज की इस पोस्ट में मैं आपको एकादशी कब है यह बताने वाला हु दोस्तों हिंदू धर्म में हर 15 दिन में एक बार एकादशी आती है जो कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का काफी महत्व माना जाता है इस दिन लोग उपवास रखते हैं औरतों में भगवान विष्णु की पूजा करते हैं फिलहाल आज की इस पोस्ट में मैं आपको एकादशी कब है इसके बारे में पूरी जानकारी देने वाला हूं

एकादशी को हिंदू धर्म में एक अहम दिन माना जाता है। यह हर महीने की तिथि पर आता है और इसका महत्व भी बहुत अधिक होता है। इस दिन व्रत रखा जाता है और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि एकादशी कब है, इसका महत्व क्या है और इसके पीछे की कहानी क्या है।

Ekadashi Kab Hai – एकादशी कब है?

एकादशी क्या है?

एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। एकादशी तिथि के दो अक्षरों का उपयोग करके बनाया जाता है, “एक” और “दश”। एक तो एक होता है और दश में दस अंक होते हैं। इसलिए यह दिन एकादशी कहलाता है।

एकादशी कब है?

एकादशी हर महीने की तिथि पर आता है। यह तिथि पूर्णिमा और अमावस्या के बीच की दो तिथियों के बीच आती है। एकादशी का व्रत रखने से शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं। एकादशी व्रत के दिन नहीं खाने-पीने की सलाह दी जाती है। एकादशी के व्रत में शुद्ध विचार और पूर्ण ध्यान रखने से शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं।

एकादशी के पीछे की कहानी क्या है?

एकादशी के पीछे कई कहानियां हैं। एक कहानी के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु ने नील कमल को एकादशी के नाम से अर्चन किया था। उन्होंने इस दिन निराहार रहकर व्रत रखा था। अगले दिन वह नील कमल स अमृत से भरे थे। यही कारण है कि एकादशी को विष्णु द्वादशी भी कहा जाता है, क्योंकि भगवान विष्णु इस दिन स्वयं अमृत पीते हैं।

दूसरी कहानी

एकादशी व्रत की कहानी बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसके पीछे एक रोमांचक इतिहास है। एक बार, देवताओं और असुरों के बीच युद्ध था। इस युद्ध के दौरान देवताओं के हाथों से एक रहस्यमय वस्तु लूट ली गई। वो वस्तु है अमृत कलश था, जो की अमृत की भरी हुई एक कलश था। देवताओं ने इसे असुरों से बचाने के लिए बहुत कोशिश की। यह लड़ाई एकादशी के दिन शुरू हुई थी।

असुरों ने वार करते हुए इस कलश को लूट लिया था। देवताओं को यह जानकर बहुत दुख हुआ कि वे अमृत कलश हासिल नहीं कर पाए। उन्होंने श्री हरि से प्रार्थना की और उनसे मदद मांगी। भगवान ने उन्हें बताया कि वे एकादशी के दिन उसे वापस प्राप्त कर सकते हैं।

उस दिन देवताओं ने एकादशी व्रत रखा और भगवान ने अमृत कलश उन्हें वापस कर दिया। इस तरह एकादशी के दिन व्रत रखने से बहुत ही महत्वपूर्ण वरदान प्राप्त होता है।

एकादशी के नियम

एकादशी के दिन नहीं खाने-पीने की सलाह दी जाती है। इस दिन यह चीजे नहीं खाना चाहिए – अन्न, तम्बाकू, बीयर, वाइन और दूध। एकादशी के दिन फल और सब्जियां खाने की अनुमति है।

अगर आप निरंतर भूखे रहने में असमर्थ हैं, तो आप फल खा सकते हैं। अन्य खाद्य पदार्थ जैसे खीर, मिठाई, पकवान आदि खाने से बचना चाहिए। इसके अलावा, एकादशी के दिन ध्यान और तपस्या करने की सलाह दी जाती है।

एकादशी के फायदे

एकादशी का व्रत करने से शरीर के अंगों को आराम मिलता है और मन भी शांत होता है। इस व्रत के द्वारा शरीर में आयरन, कैल्शियम और पोटेशियम जैसे महत्वपूर्ण तत्वों की मात्रा बढ़ती है। एकादशी का व्रत रखने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों बेहतर होता है। इस दिन को ध्यान और तपस्या करने से मन की शुद्धि होती है और जीवन में शांति और समृद्धि मिलती है।

एकादशी के दिन क्या करें और क्या नहीं?

एकादशी के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को निश्चित नियमों का पालन करना चाहिए। निम्नलिखित कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए:

  • एकादशी के दिन अन्न नहीं खाना चाहिए। सिर्फ फल और सब्जी का सेवन कर सकते हैं। आटे की रोटी, दाल, चावल आदि नहीं खाने चाहिए।
  • एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करना चाहिए। इस दिन विशेष रूप से तुलसी की पूजा की जाती है।
  • एकादशी के दिन उठकर स्नान करना चाहिए।
  • एकादशी के दिन दुर्गंधित चीजें नहीं लगानी चाहिए। उदाहरण के लिए, परफ्यूम या इत्र नहीं लगाना चाहिए।
  • एकादशी के दिन समाज के गरीबों और बेसहारा लोगों की मदद करना चाहिए।
  • एकादशी के दिन रात्रि में जागरण करना चाहिए। इस रात्रि में भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए।

एकादशी के पीछे की कहानी क्या है?

एकादशी व्रत के पीछे एक महत्वपूर्ण कथा है। इसके अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी ने समस्त देवताओं के साथ यज्ञ किया था। लेकिन यज्ञ के बाद देवताओं को अपने-आप पर अहंकार हो गया। भगवान विष्णु ने यह देखा और उन्हें शांति और समझाने के लिए धरती पर अवतरित हो गए। भगवान विष्णु ने एक गुच्छे में से एक गोला निकाला और उसे देवताओं के सामने रखा। उन्होंने देवताओं से यह कहा कि जो भी देवता इस गोले को बाँटने के बाद पहले खाएगा, वह अपने अहंकार में मर जाएगा।

सभी देवताओं में से, भगवान विष्णु के भक्त एकादशी ने यह गोला खाने से इनकार कर दिया। वह उस दिन व्रत रखने लगा था। दूसरे दिन, सभी देवताओं ने इस गोले को खाना शुरू कर दिया था, लेकिन उन्हें दिखता ही नहीं था कि गोला कौन सा है। अंत में, जब भगवान विष्णु ने इस गोले का असली स्वरूप देवताओं को दिखाया तो वे सब वहाँ पहुंच गए थे

जहाँ यह गोला रखा गया था उस समय एकादशी व्रत का अवसर था और भगवान विष्णु ने इस दिन को अत्यंत महत्वपूर्ण माना था। इस घटना के बाद से, एकादशी के दिन व्रत रखने से उन लोगों को शुभ फल प्राप्त होता है, जो भगवान विष्णु के भक्त होते हैं। इसी व्रत को एकादशी व्रत के नाम से जाना जाता है।


एकादशी व्रत के दिन कई प्रकार के व्रत रखे जाते हैं जैसे कि उत्त्पन्ना एकादशी, मोहिनी एकादशी, शयन एकादशी, उत्तरायण एकादशी आदि। यह व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और वे अपने भक्तों के समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

इसलिए, एकादशी के दिन व्रत रखकर हम अपनी जिंदगी में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। भगवान विष्णु की इस पवित्र दिन को मनाकर हम अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। एकादशी के दिन व्रत रखने से हमें तनाव, रोग, दुख और दरिद्रता से मुक्ति मिलती है। यह व्रत हमें आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है और हमारी आत्मा को शुद्धि और प्रशांति मिलती है।

एकादशी का अर्थ है ग्यारह तिथि। यह हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर महीने की ग्यारहवीं तारीख को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और इसे शुभ माना जाता है।

Ekadashi Kab Hai – एकादशी कब है?

वैष्णव कैलेंडर के अनुसार, एकादशी के दिन कई महीनों में आते हैं। यह व्रत हर माह के दो बार किया जाता है। इसलिए, लोग अक्सर पूछते हैं “एकादशी कब है?”। यह व्रत हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे समय-समय पर रखना अनिवार्य होता है। नीचे दिए गए टेबल में इस साल की एकादशी की तिथियों का विवरण दिया गया है।

माहएकादशी तिथि
मार्च6 मार्च और 22 मार्च
अप्रैल5 अप्रैल और 20 अप्रैल
मई4 मई और 19 मई
जून3 जून और 17 जून
जुलाई2 जुलाई और 16 जुलाई
अगस्त1 अगस्त और 15 अगस्त
सितंबर14 सितंबर और 30 सितंबर
अक्टूबर14 अक्टूबर और 29 अक्टूबर
नवंबर12 नवंबर और 28 नवंबर
दिसंबर12 दिसंबर और 27 दिसंबर

एकादशी भारतीय संस्कृति और धर्म का एक महत्त्वपूर्ण दिन है। इस दिन विशेष पूजाएं की जाती हैं और एकादशी व्रत रखा जाता है। इस व्रत का महत्त्व इसलिए होता है क्योंकि इस व्रत को रखने से व्यक्ति की दुर्गुणों से छुटकारा मिलता है और उसका मन शुद्ध होता है। हिंदू धर्म में एकादशी को कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की तिथियों में मनाया जाता है।

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