हेलो दोस्तों आज की इस पोस्ट में मैं आपको CG Raut Nacha Doha के बारे में बताने वाला हूं दोस्त छत्तीसगढ़ में राउत नाचा को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
इस समय मंडली के लोग सभी के घर जाकर राउत नाचा करते हैं और उसमें नए-नए दोहा गाते हैं यह सुनना लोगों को बेहद पसंद आता है लेकिन क्या आप जानते हैं की वह कौन कौन से दोहे बोलते है नहीं, तो आज के इस पोस्ट में आपको यही बताने वाला हूं।
CG Raut Nacha Doha | छत्तीसगढ़ी राउत नाच दोहा
ये चित्रकूट के घाट में ,भय सन्तन के भीड़ हो ।
तुलसी दास चन्दन घिसय ,अउ तिलक लेत रघुबीर हो।।
अड़गा टूटे बड़गा टूटे, अउ बीच म भूरी गाय हो।
उहां ले निकले नन्द कन्हैया, भागे भूत मसान हो।।
हाट गेंव बाजार गेंव, उँहा ले लाएव लाड़ू रे।
एक लाड़ू मार परेव, राम राम साढू रे।।
चन्दरपुर के चन्द्रहासनी ल सुमरौं, डोंगरगढ़ बमलाई ल।
रावणभाठा के बंजारी ल सुमरौं ,रायपुर के महाकाली ल।।
कागा कोयली दुई झन भईया ,अउ बइठे आमा के डार हो।
कोन कागा कोन कोयली, के बोली से पहचान हो।।
भरे गांव गितकेरा बाबू ,बहुते उपजे बोहार हो।
पाइया लागव बंसी वाले के, झोकव मोरो जोहार हो।।
जै जै सीता राम के भैया, जै जै लक्षमण बलवान हो।
जै कपि सुग्रीव के भईया ,कहत चलै हनुमान हो।।
बाजत आवय बासुरी, अउ उड़त आवय धूल हो।
नाचत आवय नन्द कन्हैया, खोचे कमल के फूल हो।।
सब गोपियन के बीच बइठे, छेड़े प्रीति के तान।
गाय चरइया मन के मोहना,गोकुल के नन्द लाल।।
राम-राम के बेरा संगी,राम के गुन ल गाए हो।
जग के तारन हारी भईया, भौं सागर पार लगाए हो।।
मोर गॉव के ठाकुर देंवता,कुल के रखिहौ मान हो।
भूल-चुक ल माफी देहु,तोरेच लईका तान हो।।
आमा से ले, अमली से ले ,से ले तैं रुख-राई हो।
एखर ले फर-फूल मिलय,चलय सुघ्घर पुरवाई हो।।
आगे देवारी तिहार रे संगी,सुनता के दिया जलाले हो ।
फुलयँ फरयँ सब बाढ़यँ भइया, मिल के दिन बिताले हो।।
उचकीच घोड़िया मोहबा के, अउ ऊदल कुदावय घोड़।
चढ़ के देखय रानी सुरमा,पहुंचय देवरा मोड़।।
ये बाघ बजावै बघ डुम्मर रे ,अउ कोल्हू मिलावै कुच।
अहीर बजावै बासुरी त,नाचय झांझ मंजूर।।
मातर-मातर कहिथें भइया मातर जीव के काल रे।
कोखरो फुटय माड़ी कोहनी,अउ कोखरो फुटय कपार रे।।
भागत भठइला भांठा म ,बैहा जाय लदान।
अउ उड़त कन्हइया नई चीन्है बइरी ल,सांगिन म दै टोभाय।।
कौड़िन कौड़िन माया ल जोरे, जोरे लाख करोड़।
आही बुलऊवा राम के ,ले जाहय निगोटी छोर।।
सरस्वती ने सुर दिए,गुरु ने दिए ज्ञान।
माता पिता ने जन्म दिए,रूप दिए भगवान।।
सबके लाठी रिंगि चिंगी, मोर लाठी कुसवा रे।
नवा नवा बाई लाएव, उहू ल लेगे मुसवा रे।।
आगे देवारी तिहार रे भईया ,घर घर दिया जलाए हो।
नवा नवा कपड़ा पहिने ,अउ घर आंगन सजाए हो।।
जय महामाई मोहबा के भईया, अखरा के गुरु बैताले ।
चौसठ जोगनी जासल के भईया, भुजा म हो हौ सहारे।।
भाई दुलारे बहिनी, अउ बहिनी दुलारे भाई।
मोला दुलारे मोर दाई दद, गोरस दूध पिलाए।।
आवत देबो राम रमईया, अउ जावत देबो आशिशे।
दुधे खाईहौ पुते फलीहौ ,जिहौ लाख बरिसे।।
पौनी पौनी के ह मालिक भये संगी, गिन गिन के कोतवाल हो।
पूछत पूछत आएन संगी ,तुंहर आंगन द्वार हो।।
जइसे मालिक लिए दिए ,तइसे देबो आशीष हो।
बेटवन बेटवन तोर घर भरे मालिक ,के जुग जीये लाख बरिस हो।।
पूजा परत पुजेरी के संगी,धोवा चाँउर चढ़ाय।
पूजा परत मोर गोवर्धन के भईया, सोभा बरन नई जाय ।।
तोर मया के छाइहा म दाई, फरेन फूलेन हरियाएन।
छत्तीसगढ़ीन दाई हमर,लईका लोर कहाएन।।
मोर गॉव के मुखिया तोला सुमिरौं,कोठा के गोर्रैईया।
मेंड़ो तीर के कुड़हीन दाई,मथुरा के गाय चरईया।।
राम,लखन घर ले निकल के चले हे दुनों भइय्या।
राम के प्यारी जनक दुलारी संग म सीता मइय्या।।
52 गज के किला रे उद्दाल, जिन्हा के 53 लाख आस्वारे।
52 थाना नैनागढ़ के जिंहा के रकबा सर ग आऊ पताले
बीच समुंदर डोंगा रहे , आऊ खेवत हस पतवार। रहे भरोसा राम के , पार लगाय भवसागर ।।
गाहब हवै तौर तुलसा पान, आउ तौर गाहाब चले पुरवाही। अरे गहब दूध रे धोऊवरी के , जेकर परमेश्वर भोग लगाही ।।
बार बार बरजेव रे केवटा झन डालबे तै नदी म
जाल रे,
देखे घाट करिंगा के रे गिरही रात बिकाल रे ।।
वृन्दावन के वृक्ष रे, के मर्म न जाने कोय ,
डाल डाल और पत्र म भईया राधे राधे होय।।
नदिया तीर मा बैहे कोकडा संगी अउ मछरी बिन बिन के खाये हो । कोकडा के पाछु म काटा गढ़ के कोय कोय नरियाय हो।।
रंग सागर के महावीर ल सुमिरव संगी ,आऊ
मरार बड़ी महमाई हो ,आऊ बस्ती के ठकुर देव हो,